पालमपुर, 9 मई 2025 ( वीर खड़का )
हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत शहर पालमपुर में एक नया आध्यात्मिक अध्याय शुरू हो चुका है। अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) ने धौलाधार पर्वत की गोद में बसे इस शहर में राधा-कृष्ण की मूर्तियों की अस्थायी स्थापना कर दी है। जल्द ही यहाँ एक भव्य इस्कॉन मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होने वाला है, जो पालमपुर को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विश्व मानचित्र पर स्थापित करेगा। इस परियोजना के पीछे पालमपुर के पूर्व एसडीएम डॉ. अमित गुलेरिया की प्रेरणा और समर्पण को प्रमुख रूप से श्रेय दिया जा रहा है।
डॉ. अमित गुलेरिया: मंदिर के प्रेरणास्त्रोत
डॉ. अमित गुलेरिया, जो पालमपुर में एसडीएम के रूप में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं, ने इस्कॉन मंदिर की स्थापना को न केवल एक परियोजना, बल्कि अपने जीवन का संकल्प बनाया। स्थानांतरण के बाद भी उन्होंने समय, संसाधन, और समर्पण के साथ इस कार्य को आगे बढ़ाया। स्थानीय नागरिक और सामाजिक संस्थाएँ उन्हें इस पवित्र पहल का “संस्थापक व्यक्तित्व” और “प्रेरणास्त्रोत” मान रही हैं। उनके योगदान की चर्चा पालमपुर और आसपास के क्षेत्रों में हर ओर हो रही है।
डॉ. गुलेरिया के प्रयासों से न केवल इस्कॉन की नींव पालमपुर में पड़ी, बल्कि यह परियोजना स्थानीय समुदाय के लिए एकता और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक बन गई है। उनके इस योगदान को पालमपुरवासी हमेशा याद रखेंगे, और आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें एक दूरदर्शी और समर्पित सेवक के रूप में सम्मान देंगी।
इस्कॉन मंदिर: आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र
इस्कॉन के प्रवक्ता के अनुसार, पालमपुर में बनने वाला यह मंदिर भक्ति, अध्यात्म, और वैदिक संस्कृति का प्रमुख केंद्र होगा। यह मंदिर न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि देश-विदेश से आने वाले भक्तों और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा। इस्कॉन की वैश्विक पहचान को देखते हुए, यह मंदिर पालमपुर को एक नई आध्यात्मिक पहचान देगा।
मंदिर के निर्माण से पालमपुर में आध्यात्मिक पर्यटन को भी बल मिलने की उम्मीद है। धौलाधार की प्राकृतिक सुंदरता और इस्कॉन मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम पर्यटकों को आकर्षित करेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से पर्यटन, होटल, और छोटे व्यवसायों को लाभ होगा।
इस्कॉन का वैश्विक प्रभाव
इस्कॉन (International Society for Krishna Consciousness) की स्थापना 1966 में श्रील प्रभुपाद द्वारा न्यूयॉर्क, अमेरिका में की गई थी। यह संगठन भक्ति योग, श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान, और वैदिक संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए विश्व भर में जाना जाता है। आज इस्कॉन के मंदिर 100 से अधिक देशों में हैं, जो लाखों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। पालमपुर का यह मंदिर इस वैश्विक आंदोलन का हिस्सा बनकर हिमाचल प्रदेश में वैदिक संस्कृति को बढ़ावा देगा।
आध्यात्मिक पर्यटन पर प्रभाव
पालमपुर, जो पहले से ही अपनी चाय बागानों, प्राकृतिक सुंदरता, और बौद्ध मठों जैसे ताशीजोंग के लिए जाना जाता है, अब इस्कॉन मंदिर के साथ एक प्रमुख आध्यात्मिक गंतव्य बनने की राह पर है। हाल के वर्षों में हिमाचल सरकार ने भी आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कांगड़ा जिले में पालमपुर-थात्री और हिमानी-चामुंडा रोपवे परियोजनाएँ। इस्कॉन मंदिर का निर्माण इन प्रयासों को और मजबूती देगा।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक चेतना को बढ़ाएगा, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी प्रोत्साहित करेगा। पालमपुर के निवासी इस परियोजना को विकास का एक नया आयाम मान रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “डॉ. अमित गुलेरिया ने पालमपुर को एक ऐसी विरासत दी है, जो हमें गर्व महसूस कराती है। यह मंदिर हमारी संस्कृति और आस्था का प्रतीक बनेगा।”
पालमपुर का यह इस्कॉन मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और सामुदायिक विकास का प्रतीक है। डॉ. अमित गुलेरिया के इस असाधारण योगदान ने पालमपुर को एक नई दिशा दी है। सभी से अपील है कि इस पवित्र पहल का समर्थन करें और पालमपुर को आध्यात्मिक पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में योगदान दें।