शिमला, 11 अप्रैल 2025: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने और सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़ा कदम उठाया है। सरकार ने नवगठित शहरी स्थानीय निकायों में हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक क्षेत्र (प्रिवेंशन ऑफ डिस्फिगरमेंट) एक्ट, 1985 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है। इस अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थानों पर अनाधिकृत विज्ञापनों, पोस्टरों, नोटिसों और अन्य सामग्री के प्रदर्शन पर रोक लगेगी, और उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना व सजा का प्रावधान किया गया है।
यह अधिनियम मूल रूप से सार्वजनिक स्थानों जैसे इमारतों, दीवारों, पेड़ों और अन्य सरकारी संपत्तियों पर अनधिकृत विज्ञापनों और प्रचार सामग्री को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया था। इसके तहत बिना स्थानीय प्राधिकरण की लिखित अनुमति के कोई भी विज्ञापन या प्रचार सामग्री प्रदर्शित नहीं की जा सकती।
हाल ही में सरकार ने नवगठित शहरी स्थानीय निकायों में इस अधिनियम के प्रवर्तन को मंजूरी दी है। इनमें नगर निगम धर्मशाला, पालमपुर, मंडी, सोलन, बद्दी, हमीरपुर और ऊना शामिल हैं। इसके अलावा नगर परिषद बिलासपुर, घुमारवीं, सुजानपुर टीहरा, देहरा, ज्वालामुखी, नगरोटा बगवां, मनाली, जोगिंद्रनगर, नेरचौक, सरकाघाट, रोहड़ू, परवाणू, मेहतपुर, संतोषगढ़, सुन्नी, नादौन और बैजनाथ-पपरोला के साथ-साथ नगर पंचायत ज्वाली, शाहपुर, निरमंड, करसोग, चिड़गांव, नेरवा, कंडाघाट, अंब, टाहलीवाल, बड़सर, संधोल, धर्मपुर, बलद्वाड़ा, भोरंज, खुंडियां, नगरोटा सूरियां, कोटला, झंडूता, स्वारघाट, बनीखेत, कुनिहार, बंगाणा और शिलाई को भी इस दायरे में शामिल किया गया है।
इस अधिनियम का सख्ती से पालन होने से न केवल अनधिकृत विज्ञापनों पर रोक लगेगी, बल्कि इन क्षेत्रों की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। यह कदम हिमाचल जैसे पर्यटन-प्रधान राज्य के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां प्राकृतिक और सांस्कृतिक सौंदर्य को संरक्षित करना प्राथमिकता है।
उल्लेखनीय है कि इस अधिनियम को सबसे पहले 1985 में शिमला नगर निगम क्षेत्र में लागू किया गया था। बाद में 9 मई, 1991 की अधिसूचना के माध्यम से इसका दायरा पूरे राज्य के विभिन्न नगर पालिका क्षेत्रों और अन्य नगर निगमों तक बढ़ाया गया। हालांकि, 1991 के बाद प्रशासनिक उन्नयन और विस्तार के कारण बने नए शहरी स्थानीय निकायों को इस अधिसूचना में शामिल नहीं किया गया था। अब सरकार के इस फैसले से इन सभी नए निकायों में भी अधिनियम प्रभावी होगा।
यह कदम न केवल सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि हिमाचल प्रदेश को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
